Wednesday, April 25, 2012

पूछते हैं वो तेरे दामन में क्या है ज़िन्दगी


पूछते हैं वो तेरे दामन में क्या है ज़िन्दगी

हँस के कहती है कभी ये राज़ जाना किसने कहीं ???


मैने कहा :

मुझको मिलती है मगर दिखती नहीं क्यूँ ज़िन्दगी ?

बात सुनता हूँ सभी से, पर बोलती नहीं क्यूँ ज़िन्दगी ?

गुदगुदाती है कभी और मुस्कुराती है कभी ...

हर कदम हर पल नए नित रूप दिखलाती है क्यूँ ये ज़िन्दगी ?

सर चढ़ती है कभी और धुल चट्वाती कभी ..

चलने लगता हूँ जो मै कभी , तो दौड़ जाती क्यूँ ज़िन्दगी ?


ज़िन्दगी ने कहा
 
तू मुक्कदर का सिकंदर है और फकीर भी,

है कभी राजा कहीं का और फिर दरवेश भी ,

मै तो चंचल मनचली हूँ , टेहरना जानू नहीं ,

राज़ कैसे मै बतादूँ .....मौत पीछे है खड़ी !

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